जिन्दगी में कोई भी पल नही मिलता दोबारा
ये मौत का सितम और उसका चौबारा ..
कितनी बार कहा हस कर कट लो चार पल .
फिर भी न समझे नही लौटता ये कल ..
आज राग रागिनी गयी जा रही तेरी .
साँसों को खेल है क्यों मुझसे न मिली मेरी
आलोक चांटिया
ये मौत का सितम और उसका चौबारा ..
कितनी बार कहा हस कर कट लो चार पल .
फिर भी न समझे नही लौटता ये कल ..
आज राग रागिनी गयी जा रही तेरी .
साँसों को खेल है क्यों मुझसे न मिली मेरी
आलोक चांटिया
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