रावण की लंका में ,
रहकर क्या सपने ,
मैंने गलत चुने ,
राम राज्य की ,
कर कल्पना पथ ,
क्या सही नहीं बुने,
कब तक चलेगा दमन ,
अशोक वाटिका में ,
सीता घुट घुट कर जियेगी ,
जगह मिलेगी धरा में ,
उठाया है तो धनुष ,
अंत रावण का करना है ,
गरिमा से जीना है मुझको,
अब उसको ही मरना है ,...................
महिला में तो इतना दम नहीं है की वो अपने विरुद्ध होने वाले शोषण के खिलाफ बोल पाये
रहकर क्या सपने ,
मैंने गलत चुने ,
राम राज्य की ,
कर कल्पना पथ ,
क्या सही नहीं बुने,
कब तक चलेगा दमन ,
अशोक वाटिका में ,
सीता घुट घुट कर जियेगी ,
जगह मिलेगी धरा में ,
उठाया है तो धनुष ,
अंत रावण का करना है ,
गरिमा से जीना है मुझको,
अब उसको ही मरना है ,...................
महिला में तो इतना दम नहीं है की वो अपने विरुद्ध होने वाले शोषण के खिलाफ बोल पाये
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