वो कहती हैं मोह्हबत करने का मोल दो .
मुझे मेरी आरजू में आज तोल दो .
मै नही प्यासी घुंघरू की आवाज़ तुम सुनो .
आज सरे आम अपने दिल के राज खोल दो .
मैंने यही सीखा हर बात पर अपनी बोली सुनना .
आज तो अपनी मोह्हबत की बोली बोल दो .
बस इतने के खातिर मैं न जाने कहा से गुजरी .
अब एक आसरे की बाँहों का माहौल दो .
आलोक चांटिया
मुझे मेरी आरजू में आज तोल दो .
मै नही प्यासी घुंघरू की आवाज़ तुम सुनो .
आज सरे आम अपने दिल के राज खोल दो .
मैंने यही सीखा हर बात पर अपनी बोली सुनना .
आज तो अपनी मोह्हबत की बोली बोल दो .
बस इतने के खातिर मैं न जाने कहा से गुजरी .
अब एक आसरे की बाँहों का माहौल दो .
आलोक चांटिया
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