हर किसी को आशा होती है,
जब पूर्व से आई रोशनी,
उसके आंगन में होती है ,
सोचता वह भी है प्रकाश फैलेगा,
अंधेरा दूर हो जाएगा ,
शायद हर किसी की जिंदगी,
कुछ ऐसी ही होती है,
कौन नहीं चाहता सीढी पर,
चढ़कर वहां तक चले जाना,
जिसके बाद मंजिल की,
कोई बात नहीं होती है ,
पर सरल कहां है सीढ़ी पर,
चढ़ने के सारे रास्ते,
अमीरी गरीबी जाति धर्म की,
हर तरफ एक बिसात बिछी होती है,
फिर भी जो जुटे रहते हैं,
इसे पाने की जुगत में ,
उनकी भला हार कहां होती है,
नन्हे नन्हे पांव से करते हैं,
चलने की वह हर कोशिश,
जो उन्हें परिपक्व बना जाती है,
सच मानो तुम्हारे हर प्रयास की,
जो तुम रात दिन वहां तक,
जाने के लिए करते हो ,
उसकी एक सुखद कहानी,
आलोक जीवन में जरूर आती है
उसकी एक सुखद कहानी ,
आलोक जीवन में जरूर आती हैl
आलोक चांटिया
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