हर कोई खूंटी पर टंगी औरत को,
बार-बार नीचे उतर लाता है ,
और उसे दबा कुचला टूटा फूटा ,
ऐसा वैसा बता जाता है,
एक बीमार हैरान सी खड़ी ,
औरत उसकी तरफ निहारती है ,
फिर वह बड़े शान से उसके ,
दर्द का इलाज भी बता जाता है,
नीम हकीम खतरे जान की,
इस दुनिया में वह मान लेती है,
बस फिर वह एक पेंटर की तरह ,
औरतों में उकेरा जाता है ,
लेकिन यह कोई एक बार का ही,
सिलसिला नहीं होता है,
अब तो पेंटर गायक नृतक एक्टर ,
सभी को वह निहारती है ,
फिर एक औरत में एक औरत को ,
दिन-रात ढूंढा जाता है ,
उजाले में भी रात का अंधेरा ,
फैल जाता है उसके जिंदगी में ,
एक औरत की बंद मुट्ठी में ,
सदियों से आलोक यही आता है।
आलोक चांटिया
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