Monday, December 30, 2024

खुद की तलाश में औरत -आलोक चांटिया


 हर कोई खूंटी पर टंगी औरत को, 

बार-बार नीचे उतर लाता है ,

और उसे दबा कुचला टूटा फूटा ,

ऐसा वैसा बता जाता है,

एक बीमार हैरान सी खड़ी ,

औरत उसकी तरफ निहारती है ,

फिर वह बड़े शान से उसके ,

दर्द का इलाज भी बता जाता है, 

नीम हकीम खतरे जान की, 

इस दुनिया में वह मान लेती है, 

बस फिर वह एक पेंटर की तरह ,

औरतों में उकेरा जाता है ,

लेकिन यह कोई एक बार का ही,

 सिलसिला नहीं होता है,

अब तो पेंटर गायक नृतक एक्टर ,

सभी को वह निहारती है ,

फिर एक औरत में एक औरत को ,

दिन-रात ढूंढा जाता है ,

उजाले में भी रात का अंधेरा ,

फैल जाता है उसके जिंदगी में ,

एक औरत की बंद मुट्ठी में ,

सदियों से आलोक यही आता है।

आलोक चांटिया

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