Wednesday, December 7, 2022

क्यों मानव हम कहलाए

 चारों तरफ मोती ,

बिखरे रहे मैं ही ,

पपीहा न बन पाया ,

स्वाति को न देख ,

और न समझ पाया ,

मानव बन कर ,,

भला मैंने क्या पाया ?

ना नीर क्षीर ,

को हंस सा कभी ,

अलग ही कर पाया ,

ना चींटी , कौवों ,

की तरह ही ,

ना ही श्वानों की ,

तरह भी ,

संकट में नहीं ,

कंधे से कन्धा मिला ,

लड़ क्यों ना पाया ,

मैं मानव क्यों ,

बन नहीं पाया ?

सोचता हूँ अक्सर ,

मानव सियार क्यों ,

नहीं कहलाया ,

हिंसक शेर , भालू ,

विषधर क्यों ,

नहीं कहलाया ?

अपनों के बीच ,

रहकर उनको ही ,

खंजर मार देने के , 

गुण में कही मानव ,

जानवरों से इतर ,

मानव तो नहीं कहलाया ............



मुझे नहीं मालूम कि क्यों मनुष्य है हम और किसके लिए है हम कोई कि अगर आपको जरूरत है है तो तो आप किसी मनुष्य के बारे में जानने की कोशिश करते भी है कि वो जिन्दा है या मर गया वरना आप किसी दूसरे मनुष्य में अपना मतलब ढूंढने लगे रहते है | मैं भी इसका हिस्सा हूँ मैं किसी को दोष नही दे रहा बस समझना चाहता हूँ कि जानवर के गुण तो हमें पता है पर हम!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!आज मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया थोड़े घाव है जो एक दो दिन में भर जायेंगे

No comments:

Post a Comment