मैं जिसको उस मोड़ पर ,
मानो ना मानो ,
छोड़ आया हूँ ,
और कुछ भी नहीं बस ,
वो मेरा कल जिसे ,
उम्र बना लाया हूँ |
लोग कहते है अब मुझे ,
कुछ बदल से गए हो ,
आलोक इस तरह ,
क्या कहूं उनसे भी ,
कुछ भी नहीं बदला ,
सिवा इस उम्र की तरह ..........
Alok Chantia
अखिल भारतीय अधिकार संगठन
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