Saturday, December 24, 2022

नास्तिक हो तुम

 जब तुम अपने को

बिल्कुल अकेला कहते हो

सच मानो दुनिया में भगवान

नहीं है यह भी कहते हो 

फिर क्यों जाते हो मंदिर मस्जिद 

गिरजाघर गुरुद्वारा जब तुमको 

खुद पर अपने चारों ओर 

उसके होने का विश्वास ही नहीं है 

वही चला रहा है इस चराचर 

ब्रह्मांड को पर तुम मानते हो 

वह कहीं नहीं है 

तुम हर बार हर दिन हर पल 

अपने को अकेला कहकर 

यही बताते हो भगवान मानने का 

तुम नाटक करते रहे हो 

यही जताते हो वरना 

कण-कण में भगवान है का 

दर्शन लिए तुम  मान जाते 

रोशनी हवा और तुम्हारे 

बंद कमरों के सन्नाटे में 

वह तुम्हारे साथ ही रह रहा है 

यह भी जान जाते 

अब जब भी किसी को अपने को

 अकेला कहते हुए पाना 

तो  मान लेना मंदिर जाकर भी 

वह नास्तिक है उसने यह माना

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