Wednesday, December 21, 2022

सूरज से सीखना होगा

 सूरज रोज सुबह 

पूरब से आता है 

पश्चिम में डूबता है 

पर भला वह कब अपने

एक ही काम से उबता  है 

फिर रोज-रोज साथ चलकर भी

सूरज से तुम यह 

क्यों नहीं सीख पाए 

जिंदगी में नीरसता है 

यह कहता हर कोई मिल जाता है 

क्या सच में हम में से कोई 

सूरज से कुछ भी सीख पाता है

जब भी वह पूरब से रोज

सुबह निकल कर 

हमारे सामने आता है 

सोच के देख मानव सूरज हमको 

एक ही जीवन एक ही काम 

एक ही पथ एक ही क्रम के बारे में

 कितना कुछ बता जाता है

तेरा जीवन भी 

सूरज की तरह बन सकता है 

जब उसी की तरह की गति

 तू अपने भीतर रोज पाता है

आलोक चांटिया

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