Thursday, October 9, 2025

जब भी मैंने तुम्हारी तरफ देखा है,-आलोक चांटिया रजनीश

 जब भी मैंने तुम्हारी तरफ देखा है,

तुमने बड़ी बेरुखी से मुझसे कहा है,

मेरे पास समय नहीं है।

समझने की लाख कोशिश के बाद भी,

यह समझना आसान नहीं है ,

कि उसके पास जीवन नहीं है।

क्योंकि उसके पास समय नहीं है ।

आज तक यही सुनता, 

समझता चला आया था।

समय जिसका प्रदर्शन करने का,

अवसर दे जाता है,।

वही तो जीवन कहलाता है।

जिनके जीवन में समय ही,

नहीं रह गया है ।

उसे मृतक के सिवा,

भला क्या कहा गया है?

गर् समय किसी के जीवन में ,

चलता रहता है ,

तभी तो वह अपने को,

 जीवित कहता रहता है।

पर जब देखो तब तुम,

यही मुझे बता जाते हो,

 अपने जीवन में समय,

न होने की बात दिखा जाते हो।

तो फिर मैं कैसे मान लूं,

कि तुम जीवन का अर्थ समझ पाते हो,

तुम तो न जाने कब के मर गए थे,

बस सिर्फ एक लाश की तरह ,

मेरे जीवन में रह जाते हो। 

और यह मैं सिर्फ तुम्हें,

नहीं बताने का जतन नहीं है ,

कि तुम्हारे पास जब समय नहीं है,

तो फिर जीवन ही कहां है? 

मैं तो अपने चारों तरफ,

उन सबको यह बता रहा हूं,

 उनको यह जता रहा हूं ,

कि जब तुम यह कहते हो,

मेरे पास समय नहीं है।

अपनी भूख भूल गए हो, 

अपनी प्यास भूल गए हो, 

सुबह से शाम तक दौड़ते रहते हो,

तो सोच कर देखो कि जिस,

शरीर को तुम जिंदा कह रहे हो !

क्या सच में तुम उसके साथ,

जिंदा रह रहे हो?

उसमें से समय तो तुमने,

न जाने कब का खो दिया है।

सिर्फ एक लाश को ढो लिया है।

समय का अर्थ तुम संबंधों के दायरे में,

कहां समझ पाए हो? 

इसीलिए मेरे पास समय नहीं है,

जिंदा शरीर में मैं कब का,

मर गया हूं यह कहते आए हो ।

पर कभी यह जान नहीं पाए हो।

आलोक चांटिया रजनीश


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