Friday, October 17, 2025

एक दीपक मेरे लिए जलने जा रहा है आलोक चांटिया "रजनीश"


 आज एक दीपक,

मेरे लिए भी जलने जा रहा है ।

मेरे अंधेरे को,

अपने साथ ले जा रहा है। 

कितनी खूबसूरती से,

इस झूठ को छिपा ले गया। 

कि खुद के जीवन में ,

एक अंधेरा किया जा रहा है।

इतना आसान भी नहीं था, 

दूसरे के जीवन में रोशनी को फैला देना ।

एक दीपक अपने भीतर, 

अंधेरे को समेटे जा रहा था।

चाहते सभी हैं कोई दूसरा, 

मेरे जिंदगी में उजाला कर जाए ।

उसके जीवन में कितना, 

अंधेरा रह गया?

क्या कभी यह जान पाए? 

आलोक चांटिया "रजनीश"

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