Sunday, January 19, 2025

चूहा मेरा अकेलापन जान गए हैं -आलोक चांटिया


 मेरे अकेलेपन को 

वे जान गए हैं 

शायद यही कारण है कि

 मानव ना होते हुए भी 

वे मुझे अपना मान गए हैं 

मेरे चूहे कमरे में चुपचाप 

मेरे साथ रहते हैं 

अक्सर खाने के समय

 मेरे इर्द-गिर्द ही रहते हैं 

कभी-कभी सन्नाटो को 

तोड़ने के लिए वे निकल आते हैं कमरों में इधर-उधर शायद 

बात कर चले भी जाते हैं

 कि तुम अकेले कहां हो 

हम तो तुम्हारे साथ ही 

कमरे में रहते हैं 

जितनी अधीरता से वे

 मेरी ओर निकल कर

 देखने लगते हैं 

उनकी बाहर निकली हुई 

चमकती आंखें और उसमें

 डूबे शब्द-क्या कहते रहते हैं 

शायद वह आदमी के दर्द को 

अब ज्यादा समझने लगे हैं 

मेरे  चूहे कुछ ज्यादा ही 

मेरे अपने से रहने लगे हैं।

आलोक चांटिया

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