बहुत देर हो गयी रात हो गयी
........................कुछ देर रुके क्या लो सुबह हो गयी
...............कैसे कहूँ इस दुनिया को जादू का खिलौना
.......................कल गूंजी थी किलकारी आज खामोश हो गयी
.................चलो कुछ देर सही बालू से खेला जाये .................बनते
बिगड़ते घरौंदों को देखा जाये .......................कोई लहर भिगो देगी
मेरे सपनो को ......................... चलो समुदर के किनारे बैठा जाये
........................जो वास्तव में जीना चाहता है वह समुंदर के किनारे
बैठ कर सपने रचता है और वही मजबूत इरादों को साबित करता है
...................अगर है इतना दम तो चलिए बनाते है एक सपना
........................शायद आपका और अपना ................कहकर शुभ ratri
No comments:
Post a Comment