मैं क्या बताऊ रात कैसी थी .................बस शायद आप ही जैसी थी ...................दुनिया में रहकर भी दुनिया में न रहा .......................शराब से ज्यादा मदहोश करने जैसी थी ...................
पर आलोक को मालूम है जिन्दगी ..................... एक बार मिली है फिर न जाने कब ...................पूरब की दस्तक को मन ने सुना ...................क्या कहूँ सुबह की धूप ही कुछ ऐसी थी ....................मानव बनने के बाद सोते रहना ठीक नही हैं ...तो कहिये सुप्रभात
पर आलोक को मालूम है जिन्दगी ..................... एक बार मिली है फिर न जाने कब ...................पूरब की दस्तक को मन ने सुना ...................क्या कहूँ सुबह की धूप ही कुछ ऐसी थी ....................मानव बनने के बाद सोते रहना ठीक नही हैं ...तो कहिये सुप्रभात
No comments:
Post a Comment