Sunday, November 25, 2012

jab lete ho .......................

कैसे कह दूँ कि बाहर  अँधेरा है अभी ......................क्योकि उजाला देखा इन्ही आँखों ने कभी ......................मैं तो आया हूँ यहा मुसाफिर बनकर ..........................क्या तुम वही  ये जान न गए थे तभी ..............................तो क्यों इतना अवसाद आज लपेटे हो ...................दर्द का एक दरिया आँखों में समेटे हो .................समय पर भरोसा रखो अभी आलोक .....................पूरब के कुछ ख्वाब लेकर तुम लेटे हो .....................संयम ही सबसे बड़ा दरवाजा है जहाँ से आपके लिए सब कुछ निकलेगा पर अभी तो शुभरात्रि

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