Monday, August 4, 2025

बिन पानी सब सून- आलोक चांटिया "रजनीश"


 

लगातार पानी की ठोकर से
पौधे भी गिर जाते हैं
सुंदर दिखने वाले फूल के लिए
पानी की बौछार शूल बन जाते हैं
गिर जाते हैं धरती पर इतने असहाय होकर सोचो जिनके जीवन में पानी नहीं है
नमी नहीं है वह कैसे जीते होंगे बेबस होकर पानी की बात करना
एक अजीब सी बात लगती है
अंदर की अंतरात्मा भला
इस बात पर कब जागती है
जानते सभी हैं कि आंखों में
पानी होना जरूरी है
बातों में नमी होना जरूरी है
करुणा का मतलब भी बातों में
पानी से होकर निकलता है
लेकिन कब किसी को पानी का
यह स्वर अपने जीवन में मिलता है
जब पानी से चोट खाकर फूल
धरती पर गिर जाते हैं
जरा सोच कर देखो जीवन में
जिसके पानी है उसकी जीत
बिना कहे हर ओर मिल जाते हैं
क्या जरूरत है उसे किसी
हथियार की किसी को जीतने के लिए
उसके जीवन में पानी है
किसी को भी जीतने के लिए
आलोक चांटिया "रजनीश"

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