Saturday, March 18, 2023

नदी

 अपने अल्हड़ 

यौवन में बहती नदी,

 अपने को ,

समुद्र में समा,

 खो जाती है ।

शेष रहता है ,

उसके जन्म से,

 समुद्र तक,

 चलने का रास्ता ।

डूब कर जिसमें,

 अक्सर लोग,

 अपनी प्यास बुझा लेते हैं।

आलोक चांटिया

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