Monday, March 6, 2023

औरत को सब कुछ सहना होगा

 मैं  जन्मा या अजन्मा ,

यह निर्णय तेरा होगा ,

औरत सोच के देख जरा ,

तुझमे साहस कितना होगा ,

हर कदम उम्र पुरषो के नीचे ,

तेरा क्षमा सहन कितना होगा ,

तुझ पर कह डाली पोथी सारी,

शून्य में फिर भी रहना होगा ,

कहती दुनिया कल दिन है तेरा .

फिर भी डर कर रहना होगा ,

आलोक ढूंढती आँखे अबभी है ,

अँधेरा खुद तुझे पीना होगा ,

माँ बहन शब्द दम तोड़ चुके ,

हव्वा आदम की होना होगा ,

भूल न जाना, है दर्द अंतहीन,

बेशर्मो संग ही रहना होगा ,

दुनिया में खुद आने के खातिर,

माँ माँ इनको ही कहना होगा ,

शत शत वंदन तेरे हर रूप को ,

ये प्रेम किसी से कहना होगा .................

अजीब लगता है जब यह लाइन लिख रहा हूँ क्योकि औरत के लिए हमारी कथनी करनी अलग है और कल हर कोई छाती पीट पीट कर महिला दिवस पर अपने गले को बुलंद करेगा .....पर शत शत अभिनन्दन उस हर महिला को जो चुपचाप पुरुष को  जन्म से मृत्यु तक साथ देकर गुमनामी में मर जाती है ............. आलोक चांटिया

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