Saturday, March 18, 2023

पेड़ का जीवन

 बीज से फूटा,

 नन्हा सा पौधा ,

आज वृक्ष बना है ।

दिल में संजोए,

 किसी को छाया,

 किसी को चारा,

 कभी मधुमिता,

 पवन का स्पर्श ,

देने का सपना।

 सबके बीच ,

हंसने जीने का सपना।

 खटाई । खटाई ।

 आप सपनों को,

 चूर करती कुल्हाड़ी ,

सब कुछ खत्म करती हुई।

 लेकिन अभी भी ,

शेष एक सपना ,

कट कर भी वह 

उपयोगी रहेगा ।

 लोगों के जीवन को ,

देकर अपना जीवन ,

आलोक सहयोगी रहेगा ।

आलोक चांटिया

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