यूं ना सांसों को मेरी दफन करो अपने इस अंदाज में
मैंने तो इसे मिलाया था किसी नए आगाज में
मिलकर भी अगर दूर तक अकेला ही दिखाई दिया
कैसे कहूं तू जिंदगी थी आलोक मौत की आवाज में
आलोक चांटिया
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