जिन्हें उम्मीद है पूरब से उनको आगे आने दो
जिन्होंने मान लिया सबकुछ पश्चिम को उनको जाने दो
मुट्ठी जब भी बांधोगे अंधेरा रहकर जाएगा
खुले हाथों से जो जी ले उसे आगे आने दो
आलोक चांटिया
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