Friday, November 25, 2022

तेरी तड़प

 इन आंखों से रोज न जाने कितनी जिंदा तस्वीरें गुजरती हैं

 

पर मुझे तो सिर्फ तेरी ही तड़प और तुझी पर यह मरती हैं

 

कल की तमन्ना लेकर फिर ढूंढ लूंगा तुझे इन्हीं हवाओं में


मेरी इस हिम्मत पर रोज मेरी सांसे न जाने कितना हंसती है

 

आलोक चांटिया

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