आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Sunday, January 19, 2020
हर दिन मौत और करीब आ जाती है
हर दिन मौत और करीब आ जाती है
ज़िन्दगी खत्म होकर मुकाम पाती है
आलोक चांटिया
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