जो हाथ गुलाब खिला लेते है ,
वो काँटों को भी जी लेते है
अंधेरो से क्यों डरे वो आलोक ,
जो बाघ के भी दांत गिन लेते है .......अखिल भारतीय अधिकार संगठन उन सब से पूछना चाहता है जो हर सही रास्ते पर चलने वालो को यही समझाता है कि मेरा प्रयास धक् तीन के पात ही है ,
2-
माना की वो मुझको गोली मार देंगे लेकिन ,
उन शब्दों का क्या जो बारूद बन गए है ,
वक्त अब भी है संभल जाओ देश के गद्दारों ,
वरना तुम्हारे सोने के भी ताबूत बन गए है ..........अखिल भारतीय अधिकार संगठन का सुप्रभात .....इस आशा के साथ कि अपने मतों से हम भारत कि तस्वीर बदल देंगे ........
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वो काँटों को भी जी लेते है
अंधेरो से क्यों डरे वो आलोक ,
जो बाघ के भी दांत गिन लेते है .......अखिल भारतीय अधिकार संगठन उन सब से पूछना चाहता है जो हर सही रास्ते पर चलने वालो को यही समझाता है कि मेरा प्रयास धक् तीन के पात ही है ,
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माना की वो मुझको गोली मार देंगे लेकिन ,
उन शब्दों का क्या जो बारूद बन गए है ,
वक्त अब भी है संभल जाओ देश के गद्दारों ,
वरना तुम्हारे सोने के भी ताबूत बन गए है ..........अखिल भारतीय अधिकार संगठन का सुप्रभात .....इस आशा के साथ कि अपने मतों से हम भारत कि तस्वीर बदल देंगे ........
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