मै रोया बहुत अपनी
जिन्दगी के लिए ,
मेरी आंखे भी रोई ,
उसकी बंदगी के लिए ,
जिनको देखा उन्हें ,
पसंद न मुझे देखना ,
जो आये न पसंद कभी ,
वही खड़े पनाह के लिए
जिन्दगी के लिए ,
मेरी आंखे भी रोई ,
उसकी बंदगी के लिए ,
जिनको देखा उन्हें ,
पसंद न मुझे देखना ,
जो आये न पसंद कभी ,
वही खड़े पनाह के लिए
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
02/02/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
वाह
ReplyDeleteक्या बात है।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र