Sunday, January 19, 2020

मैं पश्चिम का सूरज हूँ

मैं पश्चिम का सूरज हूँ ,
तुम पूरब के बन जाओ ,
मैं निस्तेज तिमिर का वाहक ,
तुम पथ के दीपक बन  जाओ ,
मैं और तुम दोनों ही रक्तिम ,
अंतर बस इतना पाता हूँ ,
तुम उगने का अर्थ लिए ,
मैं उगने की राह बनता हूँ ...................................उगता और डूबता सूरज दोनों लाल होते है पर दोनों का अर्थ अलग है ....समझिये और कहिये

No comments:

Post a Comment