आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Monday, December 9, 2019
अंधेरे कासीना चीर
अंधेरे का सीना चीर जब सूरज सामने आता है
सुबह उसका नूर आलोक किसे नहीं भाता है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment