घनीभूत पीड़ा को लेकर आता नही है कौन यहाँ ..............हर पल पीड़ा में रह कर जीता नही है कौन यहाँ .............पीड़ा को देकर ही बीज फूटता धरती को कर विकल ...................पीड़ा ही अंतिम सत्य दर्द को समझा नही कोई यहाँ ...................पीड़ा को तुम गले लगाकर हस सकते हर मोड़ पर ................आलोक को फैला सकते हो अपनी कर्मो के छोर पर ...............सुप्रभात
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