रात
रावन की भी थी और राम की भी ...................दिन रावन का भी है और राम
का भी ..................दोनों चलेंगे कर्म के पथ पर पुर जोर
....................तय खुद से करो तुम चलोगे किस
ओर....................क्यों कि दिन तुम्हारा भी है और हमारा भी
.........शोहरत मेरी भी है और तेरी भी है ....................जाना ही है
जब दुनिया से आलोक ...............तय खुद से करो क्या बनना तुम्हे इस लोक
.....................मन में अजीब सी उलझन है क्योकि मैं समझ नही पा रहा कि
जो लोग इस दुनिया में आये हैं वो रावन का जीवन क्यों ज्यादा पसंद कर रहे
है
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