Friday, December 27, 2019

जब भी मैं आवाज देता हूं

जब भी मैं आवाज देता हूं तुम्हें बोलना गवारा नहीं होता
शायद तुम्हें समझा ना पाऊं हर कोई दुनिया में आवारा नहीं होता
आलोक चांटिया
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जानते सभी है रात होना ही है
पर तारों की तलब कितनो को है
आलोक चान्टिया
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क्यों दूर तक सोचने की आदत पाल ली
आँखों ने आलोक कब सारी दूरी जान ली
आलोक चान्टिया
4
चलो आज एक जिद पाल लेते हैं
रास्ता लम्बा कितना जान लेते हैं आलोक चान्टिया

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