Wednesday, December 11, 2019

# जाड़ा


# जाड़ा
मुझे भी जीने दो ...........
कूड़े की गर्मी से ,
जाड़े की रात ,
जा रही है ,
पुल पर सिमटे ,
सिकुड़ी आँख ,
जाग रही है ,
कमरे के अंदर ,
लिहाफ में सिमटी ,
सर्द सी ठिठुरन ,
दरवाजे पर कोई ,
अपने हिस्से की ,
सांस मांग रही है ,
याद करना अपनी ,
माँ का ठण्ड में ,
पानी में काम करना ,
खुली हवा में आज ,
जब तुम्हारी ऊँगली ,
जमी जा रही है ,
क्यों नहीं दर्द ,
किसी का किसी को ,
आज सर्द आलोक ,
जिंदगी क्यों सभी की ,
बर्फ सी बनती ,
पिघलती जा रही है ...................
आप अपने उन कपड़ों को उन गरीबों को दे दीजिये जो इस सर्दी के कारण मर जाते है हो सकता है आपके बेकार कपडे उनको अगली सर्दी देखने का मौका दे , क्या आप ऐसे मानवता के कार्य नहीं करना चाहेंगे ??????? विश्व के कुल गरीबों के २५% सिर्फ आप के देश में रहते है इस लिए ये मत कहिये कि ढूँढू कहाँ ?????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन

No comments:

Post a Comment