Saturday, June 2, 2012

shubh ratri

जिन्दगी मेरी बेजार होती रही ,
साँसे उनकी रात भर रोती रही ,
न जाने उस काली रात में क्या ,
पूरब आलोक पे निसार होती रही ................ पर हर किसी के लिए पूरब का अपना मतलब है और अपनी हसी है और ऐसी हसी में आपके अधिकार का अगर सरुर हो तो अखिल भारतीय अधिकार  संगठन तो आपके इर्द गिद तो होगा ही .............शुभ रात्रि

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