Monday, June 4, 2012

badal ka jajba

दरख्तों के आस पास आँचल का एहसास है ,
जमीं में उलझी शबनम में ओठो की प्यास है ,
कोई बढ़कर हवाओ की तरह ही लिपट जाये ,
आफताब से प्यार में जैसे बादल के जज्बात है .........................
हर विपरीत परिस्थिति में जीवन से मोह्हबत करना आना चाहिए वरना बादल की क्या मजाल कि वो अपने प्रेम की बहो में सूरज को समेटने की गुस्ताखी करे | यही है आपके अधिकारों के जागने का मन्त्र , अखिल भारतीय अधिकार संगठन .........सुप्रभात

No comments:

Post a Comment