रात कुछ इस कदर खौफ जदा रही ,
कि ओस की बूंदे पूरे दौर फ़िदा रही ,
जिन्दगी मेरी चली तिनका तिनका ,
जब तक पूरब भी मुझसे जुदा रही ............... रोशनी का मज़ा इसी में है कि हर तरह रोशनी हो पर न जाने कितने कोने इन्दगी के अधिकारों के आभाव में अंधरे में रह जातेहै ओस की बूंद की तरह बस हम रात की तरह जीने की कोशिस करते है और उसी कोशिश में एक साथ आपका अखिल भारतीय अधिकार संगठन भी निभाता है , आपको सुप्रभात
कि ओस की बूंदे पूरे दौर फ़िदा रही ,
जिन्दगी मेरी चली तिनका तिनका ,
जब तक पूरब भी मुझसे जुदा रही ............... रोशनी का मज़ा इसी में है कि हर तरह रोशनी हो पर न जाने कितने कोने इन्दगी के अधिकारों के आभाव में अंधरे में रह जातेहै ओस की बूंद की तरह बस हम रात की तरह जीने की कोशिस करते है और उसी कोशिश में एक साथ आपका अखिल भारतीय अधिकार संगठन भी निभाता है , आपको सुप्रभात
No comments:
Post a Comment