Monday, August 28, 2023

दर्द

 दर्द

आज फिर क्यों आँखे नम है ,

भीड़ में कोई चेहरा कम है ,

कितना भीगा आलोक से जीवन ,

फिर भी अंतस में क्यों तम है ,

रोज नींद कहकर क्यों सुलाती ,

मौत बता तुझको क्या गम है ,

कल तक दो जीवन जो साथ रहे ,

ठहाको में उनके भी सम है ,

कहा छीन कर ले गई आज तू ,

जब दो शरीर में एक ही हम है ,

इतना सन्नाटा उसको क्यों पाकर ,

लाश को पा मौत अब गई थम हैl आलोक चांटिया

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