औरत कैसी भी ........
मैं मानता हूँ ,
और जानता भी हूँ ,
कि सारी औरतें ,
एक जैसी नहीं होती ,
पर रेगिस्तान में ,
कैक्टस भी लोगो ,
के काम आते है ,
जब हम तिल तिल ,
करके मरते है ,
पानी की बून्द को ,
तरसते है तब ,
इन्ही को हम अपने ,
सबसे करीब पाते है ,
उन्ही कांटो में सरसता ,
और जिंदगी के लिए ,
पानी पाते है |
औरत ने ही सब कुछ दिया
भला कहां कह पाते हैं?
औरत कैसी भी हो पर उसका सार निर्माण ही है ............. आलोक चांटिया
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