Thursday, August 24, 2023

आंसुओं का दर्द

 आंसू .........

आंसुओ को सिर्फ ,

दर्द हम कैसे कहे ?

कल तक जो अंदर रहे ,

वही आज दुनिया में बहे l

सूखी सी जिंदगी से निकल , 

बिल्कुल ना थे  विकलl

किसी सूखी जमी को ,

सपने दिखाए कैसा था कल l

मन भारी भी होता रहा, 

ऐसी नमी पाकर l

किसी में नयी कहानी ,

बसने  लगी आकर l

कोपल फूटी , 

किसी को छाया मिली l

किसी  बेज़ार जिंदगी में,

एक ठंडी हवा सी चली l

दर्द का सबब ही नहीं ,

मेरे आंसू आलोक l

इस पानी में भी जिंदगी ,

लेती है किसी को रोक .........

आंसू कही दर्द तो किसी के लिए सहानुभूति बन कर आते है और फिर शुरू होती जिंदगी की एक नयी कहानी आलोक चांटिया

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