मेरे हिस्से की पूरब में
लाली आ गई ,
देखो कैसे चेहेरे पर
खुशहाली आ गई,
चलो सभी कुछ कदम
फिर साथ चले ,
सुबह की बयार और
हरियाली आ गई ,
अंधेरो से निजात
बंद आँखों ने दिया ,
आलोक की सौगात
उसको भी आ गई ,
चलो कुछ देर गा ले
अब सांसो के गीत ,
उम्र से हार करहर कही
तरुणाई आ गई ।
.
आलोक चांटिया
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