Friday, February 10, 2023

एक पौधा तुम भी बोल देना

 एक पौधा तुम भी बो देना



हर कोई यहां किसी 

काम से निकला है

 मेरा जनाजा भी 

मुकाम पर निकला है 

मुझे सुकून में 

देखने वालों सोचो जरा 

मेरे साथ एक दरख्त का 

हिसाब निकला है

मैंने बोया था उसे 

छांव की तलाश में

खुद कट कर वह मेरी 

तलाश में निकला है 

जब छोड़ दिया दुनिया में 

हर किसी ने मेरा साथ 

मेरे अंतिम दौर के सफर में 

वही मेरा साथ देने निकला है 

दूर खड़े होकर लोग देखेंगे 

मेरे जलते जिस्म को 

सिर्फ वही है जो मेरे साथ 

जलने को निकला है

इस भरी दुनिया में आकर 

तुम भी एक दरख्त किसी 

कोने में लगा देना 

जीने मरने का मतलब 

क्या होता है यही बताने 

दरख़्त आलोक के साथ निकला है


 आलोक चांटिया

No comments:

Post a Comment