एक पौधा तुम भी बो देना
हर कोई यहां किसी
काम से निकला है
मेरा जनाजा भी
मुकाम पर निकला है
मुझे सुकून में
देखने वालों सोचो जरा
मेरे साथ एक दरख्त का
हिसाब निकला है
मैंने बोया था उसे
छांव की तलाश में
खुद कट कर वह मेरी
तलाश में निकला है
जब छोड़ दिया दुनिया में
हर किसी ने मेरा साथ
मेरे अंतिम दौर के सफर में
वही मेरा साथ देने निकला है
दूर खड़े होकर लोग देखेंगे
मेरे जलते जिस्म को
सिर्फ वही है जो मेरे साथ
जलने को निकला है
इस भरी दुनिया में आकर
तुम भी एक दरख्त किसी
कोने में लगा देना
जीने मरने का मतलब
क्या होता है यही बताने
दरख़्त आलोक के साथ निकला है
आलोक चांटिया
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