Saturday, September 5, 2020

दर्द कुरेद कुरेद कर मेरा

 दर्द कुरेद कुरेद कर मेरा ,

बीज कौन सा बो तुम रहे हो ,

बहते आंसू  को नीर समझ ,

पाप कौन सा धो तुम रहे हो ,

पथराई आँखों में झाँको तुम ,

हीरा कोईअब खो तुम रहे हो ,

मै क्यों तम से भागूं अब तो ,

अंतस में दिल जी तो रहे हो ,

आलोक जो खोया तो क्या  ,

सपनो का यौवन जी तो रहे हो  

अब मन न दुनिया में रहता ,

जी जी कर तुम मर तो रहे हो ,

किसे सुनाऊ सौ बाते दर्द की ,

सब में खुद को ही देख रहे हो ,

आज मिले वो बनाने वाला जो ,

पूछूं खेल कौन सा खेल रहे हो ,

मै भी तो था कुछ पल धरा का ,

धर धर के क्यों कुचल रहे हो ,

तोड़ के मेरे हर एक सपने को ,

दिल को दर्पण सा छोड़ रहे हो ,

बटोर नही पाउँगा अब ये सब ,

हर टुकड़े क्यों फिर जोड़ रहे हो ,.................................किसी के साथ रहना और उसका साथ छोड़ देना सबसे आसन काम है ........पर आज मुझे वह हिरन का झुण्ड याद आ रहा है जिनको दूर से देखने पर एक बड़ा समूह सा लगता है ..पर एक शेर( दुःख या समस्या ) के आने पर हिरन के अकेले होने की कलई खुल जाती है , बहुत से लोग कहेंगे की आप तो लिख कर बता लेते है पर वो  क्या करे जो सिर्फ घुट घुट कर जी रहे है ........................

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