आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Wednesday, September 23, 2020
वो हमें जिन्दगी जीना सीखा रहे थे ,
वो हमें जिन्दगी जीना सीखा रहे थे ,
हवाओ का रुख मुझे ही बता रहे थे
जिसने खेई नाव समुन्द्र के मझधार में ,
उसको ठहरे हुए पानी से डरा रहे थे
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