Sunday, November 30, 2025

मिट्टी और बीज का, कोई मेल कहां होता है?- आलोक चांटिया "रजनीश


 मिट्टी और बीज का,

कोई मेल कहां होता है?

रंग रूप गुण आकार प्रकार,

सब कुछ तो अलग होता है। 

फिर भी मिट्टी के साथ ही,

बीज के अंदर का ,

हर अर्थ छिपा होता है ।

बीज की दृष्टि यह पहचान जाती है ,

कि उसके जीवन की कहानी, 

मिट्टी से पहचानी जाती है।

वह कभी मिट्टी से,

दूरी नहीं बनाता है ।

उसे रंग रूप आकार प्रकार, 

में नहीं फसाता है।

समर्पित हो जाता है ,

मिट्टी के साथ जीवन जीने के लिए ,

तभी तो पृथ्वी पर प्रकृति ने,

 न जाने कितने अर्थ दिए।

अपने को जानवर से दूर करके,

आदमी भी बहुत दूर निकल आया है ।

पर उसने अपनों की ही बीच, 

एक ऐसा जगत बनाया है! 

जहां पर आदमी आदमी से, 

अलग दिखाई देने लगा है।

मिट्टी का शरीर पाकर भी, 

उसमें से भला कहां कुछ,

प्रेम सहयोग भाईचारा का,

अर्थ उगा पाया है ।

आलोक चांटिया "रजनीश"


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