यह बहुत बड़ी बात होती है,
कि कोई किसी के दिल में,
जगह पाता है,
वरना दुनिया में तो एक-एक,
रोटी का हिसाब लिया जाता है,
कौन किसी के साथ,यू ही करता है,
बिना कुछ सोचे समझे हर बात में,
हर बात का अर्थ खुद ही ,
समझ लिया जाता है ,
छोड़ कर चले जाते हैं लोग,
वह घर भी जिसमें खंडहर होने के,
निशान निकल पड़े हैं,
याद के सहारे भला इस जीवन में,
कहां एक कदम भी चला जाता है,
दो रोटी के लिए ही हर कोई,
घर से निकलता है ,
किसी से जुड़ता है ,
किसी का काम करता है ,
वरना दुनिया के हर शख्स से,
कहां कोई जुड़ा जाता है ,
यह बात बहुत बड़ी हो जाती है,
दिल का दर्द लिए कोई जाता है,
इसे किसी भी तरह कम ना समझो,
जब किसी के दिल में कोई,
छोटी सी भी जगह पाता है,
वरना कहां कोई किसी से,
यूं ही जुड़ता है ,
यहां तो एक-एक रोटी का,
हिसाब लिया जाता है,
यहां तो एक-एक रोटी का,
हिसाब लिया जाता है
आलोक चांटिया
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