Saturday, August 29, 2020

न जाने कितनी आँखे रोती रही...........by alok chantia

 न जाने कितनी आँखे रोती रही ,

और मौत मेरे संग सोती रही ,

कब पसंद आई मोहब्बत उनको ,

तन्हाई कमरे में अब होती रही ,

कितने बेदर्दी से निकाला घर से ,

सांस न जाने कहाँ खोती रही ,

मेरी प्रेम कहानी का अंत देखो ,

मौत जल कर जिन्दगी ढोती रही ,

मेरी राख को भी नदी में बहा कर ,

मिटटी में कोई बीज फिर बोती रही,

ये क्या आलोक को सिला मिला उनसे ,

मौत को देख उनकी मौत होती रही

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