कितना आजीब सा ,
सिलसिला चल रहा ,
मन कही होता ही नहीं ,
पर बरसो से चल रहा ,
दिल होता है पर ,
उसके हम नहीं ,
और मन कहा है ,
हम में किसी में नहीं ,
कैसी है दुनिया जो ,
उनके पीछे है जो
कभी किसी को दिखा ,
न पाया गया ,
क्या मनके बिना भी
इस दुनिया में
कोई लाया गया ............................जैसे मन नहीं दिखाया नहीं जा सकता उसी तरह मैं यह नहीं जनता की मैंने क्या लिख कर क्या कहना चाहा है
सिलसिला चल रहा ,
मन कही होता ही नहीं ,
पर बरसो से चल रहा ,
दिल होता है पर ,
उसके हम नहीं ,
और मन कहा है ,
हम में किसी में नहीं ,
कैसी है दुनिया जो ,
उनके पीछे है जो
कभी किसी को दिखा ,
न पाया गया ,
क्या मनके बिना भी
इस दुनिया में
कोई लाया गया ............................जैसे मन नहीं दिखाया नहीं जा सकता उसी तरह मैं यह नहीं जनता की मैंने क्या लिख कर क्या कहना चाहा है
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