Wednesday, January 16, 2019

समय

जिन्दगी किस तलाश में,
मौत से जुदा है ,
मिल जाये तो मिटटी ,
खो जाये तो ख़ुदा है ,
दूर तलक आसमान से ,
फैले तेरे अरमान है ,
बंद मुठ्ठी में भी तेरे,
तरसा एक आसमान है ,
पकड़ता रहा ना जाने क्या,
मिटटी के घरौंदे में
गुजर रहा जो बगल से,
वो समय तेरा इम्तहान है ....................
सिर्फ समय की इज्जत कीजये और पूजिए क्योकि वही आपको बनता और बिगाड़ता है .......
डॉ आलोक चन्टिया

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