आलोक चान्टिया कीकविता और शायरी - ALOK CHANTIA
Wednesday, January 16, 2013
koi milta hai
दर्द में आँखों से जब मोम बहा ,
तब लगा हांड मांस भी जलता है ,
कुछ लोगो को लगा कि आँसू है ,
किसे बताऊँ कोई रोज मिलता है
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