आओ मैं एक कविता लिखूं
और तुममे मैं फिर दिखूं ,
कितना अरसा हो गया अब ,
कोई सन्नाटा क्यों आज सहूँ ,
क्या मैं आस पास तुम्हारे रहूँ ,
पर ये सब कैसे उनसे कहूँ ,
जो सिर्फ लूटने घसोटने के लिए ,
भारत अब मैं किस पर हसूँ
खुद पर या उन पर जो लेकर ,
तन, मन धन बता मैं कहा बसूं...........................................शुभ रात्रि
और तुममे मैं फिर दिखूं ,
कितना अरसा हो गया अब ,
कोई सन्नाटा क्यों आज सहूँ ,
क्या मैं आस पास तुम्हारे रहूँ ,
पर ये सब कैसे उनसे कहूँ ,
जो सिर्फ लूटने घसोटने के लिए ,
भारत अब मैं किस पर हसूँ
खुद पर या उन पर जो लेकर ,
तन, मन धन बता मैं कहा बसूं...........................................शुभ रात्रि
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