Friday, January 4, 2013

आस्तीन का सांप

मेरे दर्द ,
पर जब ,
कोई मुस्कराता है ,
शायद उसके ,
अंतस का आदमी ,
तभी जी पाता है |
मेरे अँधेरे पर ,
जलता दीपक ,
उनके घर में एक ,
सुकून दे जाता है |
ना जाने कैसी ,
फितरत पाल ली ,
आलोक दुनिया में ,
कोई क्यों आता है ?
जीते है जिसके साथ ,
वही आस्तीन ,
का सांप निकलेगा  ,
कौन जान पाता है ................................ हम अब इतना समय पा ही नहीं पा रहे कि किसी को समझ सके और उसी कारण हम अकसर धोखा कहते है किसी की इज्जत लूटी जाती है  और कोई किसी को प्रेम में सब कुछ लुटा कर दुनिया से चला जाता है ...............क्या आप को कोई नहीं मिला ..........शुभ रात्रि

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