मेरे दर्द में जो शरीक था ,
वही मेरा बड़ा रकीब था,
जाने क्या उसको नाम दूँ ,
कितनो का वो हबीब था ,
जिन्दगी क्यों रोई फिर से ,
यह तो कभी से नसीब था ,
तन्हाई का मुझसे मिलना ,
जाने क्यों कुछ अजीब था ,
समय जो गुजरा मुझसे ,
न जाने कुछ बेतरतीब था ,
सवेरा होगा भी या नहीं ,
क्या वो इतना खुशनसीब था .....................पता नही हम आज सरकार के रुख को देखते हुए यह सोच सकते है कि एक सामान्य भारतीय कैसे अपना जीवन कटेगा क्योकि सरकार को अपने लिए महंगाई का एहसास है पर हमारे लिए वह एक कसाई से बेहतर नही है ...................आप जागिये वरना एक जानवर से ज्यादा कुछ नही इस देश में रह जायेंगे .शुभ रात्रि
वही मेरा बड़ा रकीब था,
जाने क्या उसको नाम दूँ ,
कितनो का वो हबीब था ,
जिन्दगी क्यों रोई फिर से ,
यह तो कभी से नसीब था ,
तन्हाई का मुझसे मिलना ,
जाने क्यों कुछ अजीब था ,
समय जो गुजरा मुझसे ,
न जाने कुछ बेतरतीब था ,
सवेरा होगा भी या नहीं ,
क्या वो इतना खुशनसीब था .....................पता नही हम आज सरकार के रुख को देखते हुए यह सोच सकते है कि एक सामान्य भारतीय कैसे अपना जीवन कटेगा क्योकि सरकार को अपने लिए महंगाई का एहसास है पर हमारे लिए वह एक कसाई से बेहतर नही है ...................आप जागिये वरना एक जानवर से ज्यादा कुछ नही इस देश में रह जायेंगे .शुभ रात्रि
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